‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’ इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि-
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
(क) सन 1900 के आसपास जब लेखिका पैदा हुई थी उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उनके प्रति लोगों का दृष्टिकोण बहुत अच्छा न था। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। लोग पुत्रों को अधिक महत्व देते थे जबकि लड़कियों को सिर्फ परिवार और समाज पर बोझ समझा जाता था| पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त था। लड़कियों को जन्म के समय या तो मार दिया जाता था या तो उन्हें बंद कमरे की चार दीवारी के अंदर कैद करके रखा जाता था। इसका एक कारण समाज में व्याप्त दहेज-प्रथा भी थी। उनकी शिक्षा, पालन-पोषण आदि को बहुत महत्व नहीं दिया जाता था। लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
(ख) लड़कियों को लेकर पहले की तुलना में आज की स्थिति में सुधार आया है। इसका एक मात्र कारण अपने अधिकारों को पाने के लिए नारी की जागरूकता है। लोग पहले जहाँ जन्म लेते ही लड़कियों को मार देते थे, आज भी कुछ लोग भ्रूण परीक्षण के माध्यम से जन्म पूर्व ही उनकी हत्या करने का प्रयास करते हैं। स्थिति पूरी तरह से अनुकूल नहीं है परन्तु फिर भी आज के समाज में नारियों को उचित स्थान प्राप्त है। आज नारी किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं है एवं उनके कंधे से कंधा मिलाकर समाज की प्रगति में अपना योगदान दे रही है हमारे समाज में भी नारी के अस्तित्व को लेकर लोगों का दृष्टिकोण बदल रहा है। अतः हम कह सकते हैं कि पुरुष प्रधान समाज में नारी आज पुरुषों से पीछे नहीं है।